"हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा जाए, तो तुम जो आत्मिक जो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो।"
2
"तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो।"
3
"क्योंकि यदि कोई कुछ न होने पर भी अपने आप को कुछ समझता है, तो अपने आप को धोखा देता है।"
4
"पर हर एक अपने ही काम को जांच ले, और तक दूसरे के विषय में नहीं परन्तु अपने ही विषय में उसको घमण्ड करने का अवसर होगा।"
5
क्योंकि हर एक व्यक्ति अपना ही बोझ उठाएगा।।
6
"जो वचन की शिक्षा पाता है, वह सब अच्छी वस्तुओं में सिखानेवाले को भागी करे।"
7
"धोखा न खाओ, परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा।"
8
"क्योंकि जो अपने शरीर के लिये बोता है, वह शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा; और जो आत्मा के लिये बोता है, वह आत्मा के द्वारा अनन्त जीवन की कटनी काटेगा।"
9
"हम भले काम करने में हियाव न छोड़े, क्योंकि यदि हम ढीले न हांे, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे।"
10
इसलिये जहां तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें; विशेष करके विश्वासी भाइयों के साथ।।
11
"देखो, मैं ने कैसे बड़े बड़े अक्षरों में तुम को अपने हाथ से लिखा है।"
12
"जितने लोग शरीरिक दिखव चाहते हैं वे तुम्हारे खतना करवाने के लिये दबाव देते हैं, केवल इसलिये कि वे मसीह के क्रूस के कारण सताए न जाएं।"
13
"क्योंकि खतना करानेवाले आप तो, व्यवस्था पर नहीं चलते, पर तुम्हारा खतना कराना इसलिये चाहते हैं, कि तुम्हारी शारीरिक दशा पर घमण्ड करें।"
14
"पर ऐसा न हो, कि मैं और किसी बात का घमण्ड करूं, केवल हमारे प्रभु यीशु मसीह के क्रूस का जिस के द्वारा संसार मेरी दृष्टि में और मैं संसार की दृष्टि में क्रूस पर चढ़ाया गया हूं।"
15
"क्योंकि न खतना, और न खतनारहित कुछ है, परन्तु नई सृष्टि।"
16
"और जितने इस नियम पर चलेंगे उन पर, और परमेश्वर के इस्त्राएल पर, शान्ति और दया होती रहे।।"
17
"आगे को कोई मुझे दुख न दे, क्योंकि मैं यीशु के दागों को अपनी देह में लिये फिरता हूं।।"
18
"हे भाइयो, हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम्हारी आत्मा के साथ रहे। आमीन।।"