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Joshua 4

1

"जब उस सारी जाति के लोग यरदन के पार उतर चुके, तब यहोवा ने यहोशू से कहा,"

2

"प्रजा में से बारह पुरूष, अर्थात्गोत्रा पीछे एक एक पुरूष को चुनकर यह आज्ञा दे,"

3

"कि तुम यरदन के बीच में, जहां याजकों ने पांव धरे थे वहां से बारह पत्थर उठाकर अपने साथ पाल ले चलो, और जहां आज की रात पड़ाव होगा वहीं उनको रख देना।"

4

"तब यहोशू ने उन बारह पुरूषों को, जिन्हें उस ने इस्राएलियों के प्रत्येक गोत्रा में से छांटकर ठहरा रखा था,"

5

"बुलवाकर कहा, तुम अपने परमेश्वर यहोवा के सन्दूक के आगे यरदन के बीच में जाकर इस्राएलियों के गोत्रों की गिनती के अनुसार एक एक पत्थर उठाकर अपने अपने कन्धे पर रखो,"

6

"जिस से यह तुम लोगों के बीच चिन्हानी ठहरे, और आगे को जब तुम्हारे बेटे यह पूछें, कि इन पत्थरों का क्या मतलब है?"

7

"तब तुम उन्हें उत्तर दो, कि यरदन का जल यहोवा की वाचा के सन्दूक के साम्हने से दो भाग हो गया था; क्योंकि जब वह यरदन पार आ रहा था, तब यरदन का जल दो भाग हो गया। सो वे पत्थर इस्राएल को सदा के लिये स्मरण दिलानेवाले ठहरेंगे।"

8

"यहोशू की इस आज्ञा कें अनुसार इ एलियों ने किया, जैसा यहोवा ने यहोशू से कहा था वैसा ही उन्हों ने इस्राएलियों ने किया, जैसा यहोवा ने यहोशू से कहा था वैसा ही उन्हों ने इस्राएली गोत्रों की गिनती के अनुसार बारह पत्थर यरदन के बीच में से उठा लिए; और उनको अपने साथ ले जाकर पड़ाव में रख दिया।"

9

और यरदन के बीच जहां याजक वाचा के सन्दूक को उठाए हुए अपने पांव धरे थे वहां यहोशू ने बारह पत्थर खड़े कराए; वे आज तक वहीं पाए जाते हैं।

10

"और याजक सन्दूक उठाए हुए उस समय तक यरदन के बीच खड़े रहे जब तक वे सब बातें पूरी न हो चुकीं, जिन्हें यहोवा ने यहोशू को लोगों से कहने की आज्ञा दी थी। तब सब लोग फुर्ती से पार उतर गए;"

11

"और जब सब लोग पार उतर चुके, तब याजक और यहोवा का सन्दूक भी उनके देखते पार हुए।"

12

"और रूबेनी, गादी, और मनश्शे के आधे गोत्रा के लोग मूसा के कहने के अनुसार इस्राएलियों के आगे पांति बान्धे हुए पार गए;"

13

अर्थात् कोई चालीस हजार पुरूष युद्ध के हथियार बान्धे हुए संग्राम करने के लिये यहोवा के साम्हने पार उतरकर यरीहो के पास के अराबा में पहुंचे।

14

उस दिन यहोवा ने सब इस्राएलियोंके साम्हने यहोशू की महिमा बढ़ाई; और जैसे वे मूसा का भय मानते थे वैसे ही यहोशू का भी भय उसके जीवन भर मानते रहे।।

15

"और यहोवा ने यहोशू से कहा,"

16

कि साक्षी का सन्दूक उठानेवाले याजकों को आज्ञा दे कि यरदन में से निकल आएं।

17

"तो यहोशू ने याजकों को आज्ञा दी, कि यरदन में से निकल आओ।"

18

"और ज्यों ही यहोवा की वाचा का सन्दूक उठानेवाले याजक यरदन के बीच में से निकल आए, और उनके पांव स्थल पर पड़े, त्यों ही यरदन का जल अपने स्थान पर आया, और पहिले की नाईं कड़ारो के ऊपर फिर बहने लगा।"

19

पहिले महिने के दसवें दिन को प्रजा के लोगों ने यरदन में से निकलकर यरीहो के पूर्वी सिवाने पर गिलगाल में अपने डेरे डाले।

20

"और जो बारह पत्थर यरदन में से निकाले गए थे, उनको यहोशू ने गिलगाल में खड़े किए।"

21

"तब उस ने इस्राएलियों से कहा, आगे को जब तुम्हारे लड़केबाले अपने अपने पिता से यह पूछें, कि इन पत्थरों का क्या मतलब है?"

22

"तब तुम यह कहकर उनको बताना, कि इस्राएली यरदन के पार स्थल ही स्थल चले आए थे।"

23

"क्योंकि जैसे तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने लाल समुद्र को हमारे पार हो जाने तक हमारे साम्हने से हटाकर सुखा रखा था, वैसे ही उस ने यरदन का भी जल तुम्हारे पार हो जाने तक तुम्हारे साम्हने से हटाकर सुखा रखा;"

24

इसलिये कि पृथ्वी के सब देशों के लोग जान लें कि यहोवा का हाथ बलवन्त है; और तुम सर्वदा अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानते रहो।।

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