:
1 "हे परमेश्वर बचा ले, क्योंकि एक भी भक्त नहीं रहा; मनुष्यों में से विश्वासयोग्य लाग मर मिटे हैं।"
2 उन में से प्रत्येक अपने पड़ोसी से झूठी बातें कहता है; वे चापलूसी के ओठों से दो रंगी बातें करते हैं।।
3 प्रभु सब चापलूस ओठों को और उस जीभ को जिस से बड़ा बोल निकलता है काट डालेगा।
4 "वे कहते हैं कि हम अपनी जीभ ही से जीतेंगे, हमारे ओंठ हमारे ही वश में हैं; हमार प्रभु कौन है?"
5 "दी लोगों के लुट जाने, और दरिद्रों के कराहने के कारण, परमेश्वर कहता है, अब मैं उठूंगा, जिस पर वे फुंकारते हैं उसे मैं चैन विश्राम दूंगा।"
6 "परमेश्वर का वचन पवित्रा है, उस चान्दि के समान जो भट्टी में मिट्टी पर ताई गई, और सात बार निर्मल की गई हो।।"
7 "तू ही हे परमेश्वर उनकी रक्षा करेगा, उनको इस काल के लोगों से सर्वदा के लिये बचाए रखेगा।"
8 "जब मनुष्यों में नीचपन का आदर होता है, तब दुष्ट लोग चारों ओर अकड़ते फिरते हैं।।"