:
1 "संकट के समय मैं ने यहोवा को पुकारा, और उस ने मेरी सुन ली।"
2 "हे यहोवा, झूठ बोलनेवाले मुंह से और छली जीभ से मेरी रक्षा कर।।"
3 "हे छली जीभ, तुझ को क्या मिले? और तेरे साथ और क्या अधिक किया जाए?"
4 वीर के नोकीले तीर और झाऊ के अंगारे!
5 "हाय, हाय, क्योंकि मुझे मेशेक में परदेशी होकर रहना पड़ा और केदार के तम्बुओं में बसना पड़ा है!"
6 बहुत काल से मुझ को मेल के बैरियों के साथ बसना पड़ा है।
7 "मैं तो मेल चाहता हूं; परन्तु मेरे बोलते ही, वे लड़ना चाहते हैं!"