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Psalms 140

1

"हे यहोवा, मुझ को बुरे मनुष्य से बचा ले; उपद्रवी पुरूष से मेरी रक्षा कर,"

2

क्योंकि उन्हों ने मन में बुरी कल्पनाएं की हैं; वे लगातार लड़ाइयां मचाते हैं।

3

"उनका बोलना सांप का काटना सा है, उनके मुंह में नाग का सा विष रहता है।।"

4

"हे यहोवा, मुझे दुष्ट के हाथों से बचा ले; उपद्रवी पुरूष से मेरी रक्षा कर, क्योंकि उन्हों ने मेरे पैरों के उखाड़ने की युक्ति की है।"

5

"घमण्डियों ने मेरे लिये फन्दा और पासे लगाए, और पथ के किनारे जाल बिछाया है; उन्हों ने मेरे लिये फन्दे लगा रखे हैं।।"

6

"हे यहोवा, मैं ने तुझ से कहा है कि तू मेरा ईश्वर है; हे यहोवा, मेरे गिड़गड़ाने की ओर कान लगा!"

7

"हे यहोवा प्रभु, हे मेरे सामर्थी उद्धारकर्ता, तू ने युद्ध के दिन मेरे सिर की रक्षा की है।"

8

"हे यहोवा दुष्ट की इच्छा को पूरी न होने दे, उसकी बुरी युक्ति को सफल न कर, नहीं तो वह घमण्ड करेगा।।"

9

मेरे घेरनेवालों के सिर पर उन्हीं का विचारा हुआ उत्पात पड़े!

10

"उन पर अंगारे डाले जाएं! वे आग में गिरा दिए जाएं! और ऐसे गड़हों में गिरें, कि वे फिर उठ न सकें!"

11

बकवादी पृथ्वी पर स्थिर नहीं होने का; उपद्रवी पुरूष को गिराने के लिये बुराई उसका पीछा करेगी।।

12

"हे यहोवा, मुझे निश्चय है कि तू दीन जन का और दरिद्रों का न्याय चुकाएगा।"

13

नि:सन्देह धर्मी तेरे नाम का धन्यवाद करने पाएंगे; सीधे लोग तेरे सम्मुख वास करेंगे।।

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