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1 "हे मेरे परमेश्वर, हे राजा, मैं तुझे सराहूंगा, और तेरे नाम को सदा सर्वदा धन्य कहता रहूंगा।"
2 "प्रति दिन मैं तुझ को धन्य कहा करूंगा, और तेरे नाम की स्तुति सदा सर्वदा करता रहूंगा।"
3 "यहोवा महान और अति स्तुति के योग्य है, और उसकी बड़ाई अगम है।।"
4 "तेरे कामों की प्रशंसा और तेरे पराक्रम के कामों का वर्णन, पीढ़ी पीढ़ी होता चला जाएगा।"
5 मैं तेरे ऐश्वर्य की महिमा के प्रताप पर और तेरे भांति भांति के आश्चर्यकर्मों पर ध्यान करूंगा।
6 "लोग तेरे भयानक कामों की शक्ति की चर्चा करेंगे, और मैं तेरे बड़े बड़े कामों का वर्णन करूंगा।"
7 "लोग तेरी बड़ी भलाई का स्मरण करके उसकी चर्चा करेंगे, और तेरे धर्म का जयजयकार करेंगे।।"
8 "यहोवा अनुग्रहकारी और दयालु, विलम्ब से क्रोध करनेवाला और अति करूणामय है।"
9 "यहोवा सभों के लिये भला है, और उसकी दया उसकी सारी सृष्टि पर है।।"
10 "हे यहोवा, तेरी सारी सृष्टि तेरा धन्यवाद करेगी, और तेरे भक्त लाग तुझे धन्य कहा करेंगे!"
11 "वे तेरे राज्य की महिमा की चर्चा करेंगे, और तेरे पराक्रम के विषय में बातें करेंगे;"
12 कि वे आदमियों पर तेरे पराक्रम के काम और तेरे राज्य के प्रताप की महिमा प्रगट करें।
13 तेरा राज्य युग युग का और तेरी प्रभुता सब पीढ़ियों तक बनी रहेगी।।
14 "यहोवा सब गिरते हुओं को संभालता है, और सब झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है।"
15 "सभों की आंखें तेरी ओर लगी रहती हैं, और तू उनको आहार समय पर देता है।"
16 "तू अपनी मुट्ठी खोलकर, सब प्राणियों को आहार से तृप्त करता है।"
17 यहोवा अपनी सब गति में धर्मी और अपने सब कामों मे करूणामय है।
18 "जिनते यहोवा को पुकारते हैं, अर्थात् जितने उसको सच्चाई से पुकारते हें; उन सभों के वह निकट रहता है।"
19 "वह अपने डरवैयों की इच्छा पूरी करता है, ओर उनकी दोहाई सुनकर उनका उद्धार करता है।"
20 "यहोवा अपने सब प्रेमियों की तो रक्षा करता, परन्तु सब दुष्टों को सत्यानाश करता है।।"
21 "मैं यहोवा की स्तुति करूंगा, और सारे प्राणी उसके पवित्रा नाम को सदा सर्वदा धन्य कहते रहें।।"