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1 हे परमेश्वर तेरे तम्बू में कौन रहेगा? तेरे पवित्रा पर्वत पर कौन बसने पाएगा?
2 "वह जो खराई से चलता और धर्म के काम करता है, और हृदय से सच बोलता है;"
3 "जो अपनी जीभ से निन्दा नहीं करता, और न अपने मित्रा की बुराई करता, और न अपने पड़ोसी की निन्दा सुनता है;"
4 "वह जिसकी दृष्टि में निकम्मा मनुष्य तुच्छ है, और जो यहोवा के डरवैयों का आदर करता है, जो शपथ खाकर बदलता नहीं चाहे हानि उठाना पड़े;"
5 "जो अपना रूपया ब्याज पर नहीं देता, और निर्दोष की हानि करने के लिये घूस नहीं लेता है। जो कोई ऐसी चाल चलता है वह कभी न डगमगाएगा।।"