"हे परमेश्वर, राजा को अपना नियम बता, राजपुत्रा को अपना धर्म सिखला!"
2
"वह तेरी प्रजा का न्याय धर्म से, और तेरे दी लोगों का न्याय ठीक ठीक चुकाएगा।"
3
"पहाडों और पहाड़ियों से प्रजा के लिये, धर्म के द्वारा शान्ति मिला करेगी"
4
"वह प्रजा के दीन लोगों का न्याय करेगा, और दरिद्र लोगों को बचाएगा; और अन्धेर करनेवालों को चूर करेगा।।"
5
जब तक सूर्य और चन्द्रमा बने रहेंगे तब तक लोग पीढ़ी- पीढ़ी तेरा भय मानते रहेंगे।
6
"वह घास की खूंटी पर बरसनेवाले मेंह, और भूमि सींचनेवाली झाड़ियों के समान होगा।"
7
"उसके दिनों में धर्मी फूले फलेंगे, और जब तक चन्द्रमा बना रहेगा, तब तक शान्ति बहुत रहेगी।।"
8
वह समुद्र से समुद्र तक और महानद से पृथ्वी की छोर तक प्रभुता करेगा।
9
"उसके साम्हने जंगल के रहनेवाले घुटने टेकेंगे, और उसके शत्रु मिट्टी चाटेंगे।"
10
"तर्शीश और द्वीप द्वीप के राजा भेंट ले आएंगे, शेबा और सबा दोनों के राजा द्रव्य पहुंचाएंगे।"
11
"सब राजा उसको दण्डवत् करेंगे, जाति जाति के लोग उसके अधीन हो जाएंगे।।"
12
"क्योंकि वह दोहाई देनेवाले दरिद्र को, और दु:खी और असहाय मनुष्य का उद्धार करेगा।"
13
"वह कंगाल और दरिद्र पर तरस खाएगा, और दरिद्रों के प्राणो को बचाएगा।"
14
वह उनके प्राणों को अन्धेर और उपद्रव से छुड़ा लेगा; और उनका लोहू उसकी दृष्टि में अनमोल ठहरेगा।।
15
वह तो जीवित रहेगा और शेबा के सोने में से उसको दिया जाएगा। लोग उसके लिये नित्य प्रार्थना करेंगे; और दिन भर उसको धन्य कहते हरेंगे।
16
देश में पहाड़ों की चोटियों पर बहुत से अन्न होगा; जिसकी बालें लबानोन के देवदारूओं की नाईं झूमेंगी; और नगर के लोग घास की नाई लहलहाएंगे।
17
"उसका नाम सदा सर्वदा बना रहेगा; जब तक सूर्य बना रहेगा, तब तक उसका नाम नित्य नया होता रहेगा, और लोग अपने को उसके कारण धन्य गिनेंगे, सारी जातियां उसको भाग्यवान कहेंगी।।"
18
"धन्य है, यहोवा परमेश्वर जो इस्राएल का परमेश्वर है; आश्चर्य कर्म केवल वही करता है।"
19
उसका महिमायुक्त नाम सर्वदा धन्य रहेगा; और सारी पृथ्वी उसकी महिमा से परिपूर्ण होगी। आमीन फिर आमीन।।