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1 "यहोवा राजा है; उस ने माहात्म्य का पहिरावा पहिना है; यहोवा पहिरावा पहिने हुए, और सामर्थ्य का फेटा बान्धे है। इस कारण जगत स्थिर है, वह नहीं टलने का।"
2 "हे यहोवा, तेरी राजगद्दी अनादिकाल से स्थिर है, तू सर्वदा से है।।"
3 "हे यहोवा, महानदों का कोलाहल हो रहा है, महानदों का बड़ा शब्द हो रहा है, महानद गरजते हैं।"
4 "महासागर के शब्द से, और समुद्र की महातरंगों से, विराजमान यहोवा अधिक महान है।।"
5 तेरी चितौनियां अति विश्वासयोग्य हैं; हे यहोवा तेरे भवन को युग युग पवित्राता ही शोभा देती है।।