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Psalms 129

1

"इस्राएल अब यह कहे, कि मेरे बचपन से लोग मुझे बार बार क्लेश देते आए हैं,"

2

"मेरे बचपन से वे मुझ को बार बार क्लेश देते तो आए हैं, परन्तु मुझ पर प्रबल नहीं हुए।"

3

"हलवाहों ने मेरी पीठ के ऊपर हल चलाया, और लम्बी लम्बी रेखाएं कीं।"

4

यहोवा धर्मी है; उस ने दुष्टों के फन्दों को काट डाला है।

5

"जितने सिरयोन से बैर रखते हैं, उन सभों की आशा टूटे, ओर उनको पीछे हटना पड़े!"

6

"वे छत पर की घास के समान हों, जो बढ़ने से पहिले सूख जाती है;"

7

"जिस से कोई लवैया अपनी मुट्ठी नहीं भरता, न पूलियों का कोई बान्धनेवाला अपनी अंकवार भर पाता है,"

8

"और न आने जानेवाले यह कहते हैं, कि यहोवा की आशीष तुम पर होवे! हम तुम को यहोवा के नाम से आशीर्वाद देते हैं!"

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